कभी अलविदा ना कहना – डॉ परमानंद शुक्ल

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*कभी अलविदा ना कहना*
कभी अलविदा ना कहना यह संवेग से भरी बात जब हम सुनते हैं तो हमारे दिल और दिमाग में इमोशन का अंबर फूट पड़ता है। अब आप सोच रहे होंगे की वास्तव में ऐसा तो फिल्मों में होता है, यह सब फिल्मी बातें हैं ऐसे थोड़े कोई किसी को छोड़ देता है।
दोस्तों! पर ऐसा ही हमारे साथ 2023 में हुआ। सन 2023 को अभी अलविदा कहने का मेरा कभी मन नहीं कह रहा है लेकिन समय की अबाध गति से अपने आप को कौन रोक सका है। कालचक्र को आज तक स्वयं ब्रह्मा विष्णु महेश जब नहीं रोक सके तो हमारी क्या औकात कि हम समय के कालचक्र को रोक लें। अब जब बात 2023 के अलविदा ना खाने की बात उठी गई है और हमारे मन तथा हमारी कलम तक आ गई है तो फिर कुछ चर्चाएं कर ही लेते हैं। वह दिन जिस दिन चारों तरफ से बधाइयां लेकर के और ढेरो सारी शुभकामनाएं लेकर के नया वर्ष 2023 आया तो उस दिन मैं भी बच्चा था और यह नया साल भी बच्चा था। हमारे कालचक्र ने नए वर्ष की नई दुल्हन से हमारे बचपन में ही हमारी शादी कर दी फिर हम अपने घर पर और कालचक्र की नई नवेली दुल्हन अपने घर पर काम करने लगी। समय बीतता गया और हम जवां हो गए। एक दिन बहुत तेजी के साथ सफलताओं की घड़ी में राष्ट्रीय गौरव सम्मान के लिए हमने नॉमिनेशन किया और बड़े इंतजार के बाद राष्ट्रीय गौरव सम्मान प्राप्त हो गया। हमें हमारे समय की दुल्हन से प्यार हो गया लेकिन हमारी दुल्हन हमसे बात करना नहीं चाहती थी क्योंकि वह जिंदा तो थी लेकिन जिंदा लाश की तरह थी। अर्थात समय की मौन गति अपनी अबाध गति से चलती रही और हमारी दुल्हन मौन थी। बोल नहीं पा रही थी लेकिन हमने पूरी कोशिश की एक मां चुपचाप समय की दुल्हन को अपने कड़े संघर्षों से बोलने के लिए मजबूर कर दिया और उसकी सारी खुशियां हमारी सारी खुशियां हो गई। अब हमें सफलताएं मिलने लगी तो हमें बहुत लाभ मिला और 2023 हमारे जीवन में ऐसी खुशियों को लेकर आया जहां पर हमारा कार्यालय हमारे अपने साथी इष्ट मित्र सभी हमसे प्यार करने लगे और इतना प्यार व स्नेह दिए जिन्हें हम 2023 में कभी अलविदा नहीं कह सकते हैं। अब हमारी समय की दुल्हन लाल जोड़े में अपने यार के साथ मंडप में बैठ चुकी थी और समय के साथ ही यही कह रहे थे की यह तो गलत हो रहा है लेकिन अचानक पुराने साल का नए साल से मिलन हो जाता है और मैं अपनी नई नवेली दुल्हन को छोड़ उसके यार के हाथों में सौंप बारात की रात जाने लगता हूं। पैर दुखी और निराशा मन से लड़खड़ा रहे थे लेकिन हमें तो आगे बढ़ना ही था और हम आगे बढ़ते गए तो हमें याद आया हमारा राष्ट्रीय गौरव सम्मान, राष्ट्रीय प्रतिष्ठा सम्मान, अभी हाल में ही मिलने वाला ” विद्या वाचस्पति सारस्वत” सम्मान। हिंदी माता परिवार के सभी सदस्य शिक्षक और ट्रेनिंग प्रोग्राम, सफलताएं , गिरना और गिरकर के उठाना लोगों का प्यार और स्नेह। माता-पिता, गुरु की डॉट और प्यार। सभी का दुलार। आंखों में आंसू थे लेकिन तभी नई नवेली समय की दुल्हन अपने पुराने यार को छोड़कर हमारे नाम को पुकार रही थी और कहती मत जाओ लौट आओ क्योंकि प्यार करने वाले दो पथिक, दो प्रेमी कभी अलविदा नहीं कहते हैं। हमने भी दौड़कर नई नवेली दुल्हन रूपी समय को गले से लगा लिया तो पता चला कि अब साल 2024 का समय हमारे गले लग गया है और जो अबाध गति के साथ अब हमारे साथ चलने वाला है। हमें अपने नई नवेली समय रूपी दुल्हन से अत्यंत लगाव और प्रेम है। अब हम समय को कभी अलविदा नहीं कहेंगे और मिलकर प्यार करेंगे। फिर से सफलता को हासिल करेंगे और समय को कभी अलविदा नहीं कहेंगे।
आप सभी को नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयां। आप सभी का नव वर्ष मंगलमय हो और अब हम 2024 की नई दुल्हन के साथ अपने समय को आगे लेकर के बढ़ेंगे हनीमून पर जाएंगे सफलताओं के चार चांद को जमीन पर लाएंगे और कुछ नया करने के लिए हम अपनी कलम की ताकत को और धारदार बनाएंगे और अपने ज्ञान को और तेज करेंगे। हम अपनी सफलताओं को समेटे हुए कभी अलविदा नहीं कहेंगे।

– *डॉ •परमानंद शुक्ल ( अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक, राष्ट्रीय गौरव सम्मान प्राप्त शिक्षक)*

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