*दिमाग पर आध्यात्मिक रिसर्च ( गणेश चतुर्थी विशेष)*
नसीब से ज्यादा और समय से पहले किसी को कुछ भी नहीं मिलता है। हर कार्य के पीछे ईश्वर की मंशा रहती है। कर्म प्रधान होता है जिसे हमें दिल लगाकर करना चाहिए। याद रखिए जब ईश्वर देता है तो छप्पर फाड़कर देता है जिसे कोई रोक नहीं सकता। हमें गणेश भगवान पर पूर्ण विश्वास रखना चाहिए। ईश्वरीय शक्ति एक ऐसी शक्ति है जिसके आगे बड़े से बड़े सूरमा झुक जाते हैं। हमें हर वक्त संतुष्ट और खुश रहना चाहिए। जब हम यह सोचते हैं कि अगला हमारे बारे में अच्छा सोचता है तो हमारे न्यूरान्स एक्टिव हो जाते हैं। याद रखिए कभी- कभी आपके अपने और चाहने वाले आपके बारे में अच्छा सोचते हैं लेकिन आपके फेवर में काम कम करते हैं अथवा नहीं करते हैं। इससे हमें विचलित होने की जरूरत नहीं है क्योंकि ऐसे लोगों का न्यूरान्स डीएक्टिव हो जाता है। किसी के बारे में सकारात्मक सोच मस्तिष्क में 1/10वें सेकंड में बनती है जिसे उसे बिल्कुल नहीं खोना चाहिए। यदि खो दिया तो सफलता बहुत दूर चली जाती है लेकिन यदि पकड़ लिया तो तुरंत सफलता मिलती है। ऐसी सफलता दीर्घ कालिक होती है। यह एक मनोवैज्ञानिक रहस्य है जिसे बहुत कम ज्ञानी लोग समझ पाते हैं। ऐसे में ईश्वरीय सत्ता की जरूरत होती है जिसपर विश्वास करने से हमारा आत्मबल मजबूत होता है और विश्वास बढ़ जाता है। आज गणेश भगवान अथवा अपने आराध्य देव की पूजा मन लगाकर कीजिए। आपके अंदर सकारात्मकता बढ़ जाएंगी और आने वाले भविष्य में आपका आज से चार गुना फायदा होगा। किसी के प्रति अपने मन में नकारात्मक सोच बिल्कुल नहीं लानी है। इससे भविष्य में बड़ा नुक्सान हो सकता है क्योंकि प्रकृति से खिलवाड़ करने का नतीजा आप सभी जानते हैं। प्रकृति सदैव सकारात्मक होती है लेकिन मनुष्य अपनी नकारात्मक सोच से उसे नियंत्रित करना चाहता है। इससे सुनामी, भूकंप, बड़े नुकसान की आसंका सदैव बनी रहती है।
हमें अच्छे विकास के लिए अच्छी और प्रकृति के अनुकूल सोच रखनी होगी। जो कुछ भी आपके साथ होता है वह आपकी प्रकृति पर ही निर्भर करता है। ऐसा मस्तिष्क पर शोध करते हुए हमें पता चला। हमारे शोध को गूगल पर जाकर पढ़ सकते हैं जिसे 2018 में पुरस्कृत किया गया।
– डॉ परमानंद शुक्ल आचार्य ( मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ एवं भाषा वैज्ञानिक)
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thank you so much