कक्षा 10वीं पाठ-1 तताँरा-वामीरो कथा

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कक्षा 10वीं पाठ-1 तताँरा-वामीरो कथा
लेखक परिचय
लीलाधर मंडलोई- इनका जन्म 1954 को जन्माष्टमी के दिन छिंदवाड़ा जिले के एक छोटे से गाँव गुढ़ी में हुआ। इनकी शिक्षा-दीक्षा भोपाल और रायपुर में हुई। प्रसारण की उच्च शिक्षा के लिए 1987 में कॉमनवेल्थ रिलेशंस ट्रस्ट, लंदन की ओर से आमंत्रित किये गए। इन दिनों प्रसार भारती दूरदर्शन के महानिदेशक का कार्यभार संभाल रहे हैं।
प्रमुख रचनाएँ- कृतियाँ – घर-घर घूमा, रात-बिरात, मगर एक आवाज़, देखा-अनदेखा और काला पानी।
Liladhar Mandloi – He was born on the day of Janmashtami in 1954 in Gudhi, a small village in Chhindwara district. His education took place in Bhopal and Raipur. In 1987, he was invited by the Commonwealth Relations Trust, London, for higher education in broadcasting. These days Prasar Bharati is holding the charge of Director General of Doordarshan.
Major creations – Masterpieces – Roamed from house to house, night-night, but one voice, seen-unseen and black water.

सारांश
यह पाठ अंदमान निकोबार द्वीपसमूह के एक प्रचलित लोककथा पर आधरित है। अंदमान निकोबार दक्षिणी द्वीप लिटिल अंदमान है जो की पोर्ट ब्लेयर से लगभग सौ किलोमीटर दूर स्थित है। इसके बाद निकोबार द्वीपसमूह का पहला प्रमुख द्वीप कार-निकोबार है जो की लिटिल अंदमान से 96 कि.मी. दूर है। पौराणिक जनश्रुति के अनुसार ये दोनों द्वीप पहले एक ही थे। इनके अलग होने के पीछे एक लोककथा आज भी प्रचलित है।
जब दोनों द्वीप एक थे तब वहाँ एक सुन्दर सा गाँव था जहाँ एक सुन्दर और शक्तिशाली युवक रहा करता था जिसका नाम तताँरा था। वह एक नेक और ईमानदार व्यक्ति था और सदा दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहता था। निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे। वह अपने गाँव के लोगों के साथ सारे द्वीप की भी सेवा करता था। वह पारंपरिक पोशाक में रहने के साथ अपनी कमर में सदा एक लकड़ी की तलवार बाँधे रहता था। वह कभी तलवार का उपयोग नही करता था, लोगों का मत था की तलवार में दैवीय शक्ति थी।
एक शाम तताँरा दिनभर के अथक परिश्रम के बाद समुद्र के किनारे टहलने निकल पड़ा। सूरज डूबने को था, समुद्र से ठंडी बयारें आ रहीं थीं। पक्षियाँ अपने घरों को वापस जा रहीं थीं। तताँरा सूरज की अंतिम किरणों को समुद्र पर निहारा रहा था तभी उसे कहीं पास से एक मधुर गीत गूँजता सुनाई दिया सुध-बुध खोने लगा। लहरों की एक प्रबल वेग ने उसे जगाया। वह जिधर से गीत के स्वर आ रहे थे उधर बढ़ता गया। उसकी नजर एक युवती पर पड़ी जो की वह श्रृंगार गीत गा रही थी। अचानक एक समुद्री लहर उठी और युवती को भिगों दिया जिसके हड़बड़ाहट में वह अपना गाना भूल गयी। तताँरा ने विनम्रतापूर्वक उसके मधुर गायन छोड़ने के पीछे वजह पूछी। युवती उसे देखकर चौंक गयी और ऐसे असंगत प्रश्न का कारण पूछने लगी। तताँरा उससे बार-बार गाने को बोल रहा था। अंत में तताँरा को अपनी भूल का अहसास हुआ और उसने क्षमा माँगकर उसका नाम पूछा। उसने अपना नाम वामीरो बताया। तताँरा ने उसे अपना नाम बताते हुए कल फिर आने का आग्रह किया।
वामीरो जब अपने घर लपाती पहुँची तो उसे भीतर से बैचैनी होने लगी। उसने तताँरा के व्यक्तित्व में वह सारा गुण पाया जो की वह अपने जीवन साथी के बारे में सोचती थी परन्तु उनका संबंध परंपरा के विरुद्ध था इसलिए उसने तताँरा को भूलना ही बेहतर समझा। किसी तरह दोनों की रात बीती। दूसरे दिन तताँरा लपाती के समुद्री चट्टान पर शाम में वामीरो की प्रतीक्षा करने लगा। सूरज ढलने को था सहसा तभी उसे नारियल के झुरमुठों के बीच एक आकृति दिखाई दी जो की वामीरो ही थी। अब दोनों रोज शाम में मिलते और एक दूसरे को एकटक निहारते खड़े रहते। लपाती के कुछ युवकों ने उन दोनों के इस मूक प्रेम को भाँप लिया और यह बात हवा की तरह सबको मालूम हो गयी। परन्तु दोनों का विवाह संभव ना था क्योंकि दोनों अलग-अलग गाँव से थे। सबने दोनों को समझाने का पूरा प्रयास किया किन्तु दोनों अडिग रहे और हर शाम मिलते रहे।
कुछ समय बाद तताँरा के गाँव पासा में पशु-पर्व का आयोजन था जिसमें सभी गाँव हिस्सा लिया करते। पर्व में पशुओं के प्रदर्शन के के अतिरिक्त युवकों की भी शक्ति परीक्षा होती साथ ही गीत-संगीत और भोजन का भी आयोजन होता। शाम में सभी लोग पासा आने लगे और धीरे-धीरे विभिन्न कार्यक्रम होने लगे परन्तु तताँरा का मन इनमें ना होकर वामीरो को खोजने में व्यस्त था। तभी उसे नारियल के झुंड के पीछे वामीरो दिखाई दी। वह तताँरा को देखते ही रोने लगी। तताँरा विह्नल हुआ। रुदन का स्वर सुनकर वामीरो की माँ वहाँ पहुँच गयीं और उसने तताँरा को बुरा-भला कहकर अपमानित किया। गाँव के लोग भी तताँरा के विरोध में आवाज उठाने लगे। यह तताँरा के लिए असहनीय था। उसे परंपरा पर क्षोभ हो रहा था और अपनी असहायता पर गुस्सा। अचानक उसका हाथ तलवार की मूठ पर जा टिका और क्रोध में उसने अपनी तलवार निकालकर धरती में घोंप दिया और अपनी पूरी ताकत लगाकर खींचने लगा। जहाँ से लकीर खींची थी वहाँ से धरती में दरार आने लगी। द्वीप के दो टुकड़े हो चुके थे एक तरफ तताँरा था और दूसरी तरफ वामीरो। दूसरा द्वीप धँसने लगा। तताँरा को जैसे ही होश आया उसने दूसरे द्वीप का कूद कर सिरा पकड़ने की कोशिश की परन्तु सफल ना हो सका और नीचे की तरफ फिसलने लगा। दोनों के मुँह से एक दूसरे के चीख निकल रही थी।
तताँरा लहूलुहान अचेत पड़ा था। बाद में उसका क्या हुआ कोई नहीं जानता। इधर वामीरो पागल हो गयी और उसने खाना-पीना छोड़ दिया। लोगों ने तताँरा को खोजने का बहुत प्रयास किया परन्तु वह नही मिला। आज ना तताँरा है ना वामीरो परन्तु उनकी प्रेमकथा घर-घर में सुनाई जाती है। इस घटना के निकोबारी एक दूसरे गाँवों में वैवाहिक संबंध स्थापित करने लगे। तताँरा की तलवार से कार-निकोबार से जो दो टुकड़े उसमें दूसरा लिटिल अंदमान है।

This lesson is based on a popular folktale of the Andaman and Nicobar Islands. Andaman and Nicobar is the southern island of Little Andaman, which is located about 100 kilometers from Port Blair. After this, the first major island of Nicobar Islands is Car-Nicobar, which is 96 km from Little Andaman. Is far. According to mythological legend, both these islands were earlier one. A folk tale behind their separation is prevalent even today.

When the two islands were united, there used to be a beautiful village where a handsome and powerful young man named Tatara lived. He was a pious and honest person and was always ready to help others. The Nicobarese loved him very much. He used to serve the entire island along with the people of his village. He always wore a wooden sword around his waist along with being in traditional clothes. He never used the sword, people believed that the sword had divine power.

One evening, after a day’s tireless work, Tantara went out for a walk on the seashore. The sun was about to set, cold winds were coming from the sea. The birds were going back to their homes. Tantara was looking at the last rays of the sun on the sea, when he heard a sweet song echoing from somewhere nearby, he started losing his senses. A strong rush of waves woke him up. He kept moving towards the place from where the voices of the song were coming. His eyes fell on a young woman who was singing the Shringar song. Suddenly a sea wave arose and soaked the girl, in whose panic she forgot her song. Tantara humbly asked the reason behind her leaving the melodious singing. The girl was startled to see him and started asking the reason for such an inconsistent question. Tantara was telling him to sing the song again and again. At last Tataara realized his mistake and apologized and asked his name. He told his name as Vamiro. Tataara told him her name and urged him to come again tomorrow.
When Wamiro reached her home in Lapati, she felt restless from within. She found all the qualities in Tatara’s personality that she used to think about her life partner but their relationship was against tradition so she thought it better to forget Tatara. Somehow both of them spent the night. On the second day, Tantara waited for Wamiro in the evening on the sea cliff of Lapati. The sun was about to set, suddenly he saw a figure in the middle of the coconut groves, which was Vamiro. Now both of them would meet everyday in the evening and used to stand staring at each other. Some youths of Lapati sensed this silent love of both of them and it became known to everyone like the wind. But marriage of both was not possible because both were from different villages. Everyone tried their best to make both of them understand but both remained adamant and kept meeting every evening.

After some time, a cattle festival was organized in Paasa village of Tataara in which all the villages used to participate. In addition to the performance of animals in the festival, the strength of the youths was also tested, along with song-music and food was also organized. In the evening everyone started coming to Paasa and slowly various programs started happening but Tantara’s mind was busy in finding Vamiro instead of in these. Then he saw Vamiro behind the bunch of coconuts. She started crying on seeing Tatara. Tantara got upset. Hearing the sound of crying, Vamiro’s mother reached there and she insulted Tatanra by saying bad things. The people of the village also started raising their voice against Tantara. It was unbearable for Tatara. He was indignant at tradition and angry at his helplessness. Suddenly his hand rested on the hilt of the sword and in anger he took out his sword and thrust it into the ground and started pulling with all his might. From where the line was drawn, cracks started appearing in the earth. The island was divided into two pieces, on one side was Tantara and on the other side was Wamiro. The second island started sinking. As soon as Tantara regained consciousness, he jumped to another island and tried to catch hold of the end but could not succeed and started sliding down. Each other’s screams were coming out of both of their mouths.
Little Andaman is the second of the two pieces from Car-Nicobar.
Tantara was lying unconscious. No one knows what happened to him afterwards. Here Vamiro went mad and stopped eating and drinking. People tried a lot to find Tatara but he could not be found. Today there is neither Tataara nor Vamiro, but their love story is narrated in every household. As a result of this incident, the Nicobarese started establishing matrimonial relations in each other’s villages. Little Andaman is the second of the two pieces from Car-Nicobar with the sword of Tantara.

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