डॉ परमानंद शुक्ल को विद्यावाचस्पति सारस्वत सम्मान

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*प्रेस विज्ञप्ति*
डॉ • परमानंद शुक्ल विद्यावाचस्पति सारस्वत सम्मान (डॉक्टरेट की मानद उपाधि) से होंगे सम्मानित –
10 जनवरी विश्व हिंदी दिवस पर नई दिल्ली में होगा पंडित दीनदयाल उपाध्याय हिंदी विद्यापीठ का सम्मान समारोह।

– पंडित दीनदयाल उपाध्याय हिंदी विद्यापीठ, वृंदावन धाम,मथुरा विश्वस्तर पर हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिये विख्यात है। भारतीय संस्कृति को हिंदी भाषा के माध्यम से विश्वपटल पर लाने में विद्यापीठ की अहम भूमिका रही है। विद्यापीठ के कुलपति डॉ• इंदु भूषण मिश्र ‘देवेंदु ’ ने विद्यापीठ की ओर से एक पत्र जारी करते हुए कहा कि डॉ• परमानंद शुक्ल अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक व तमाम समाचार पत्रों में अपने लेखों व संपादकीय से लोक प्रिय राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार प्राप्त शिक्षक व अंतर्राष्ट्रीय लेखक को सूचित किया जाता है कि विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले विद्यापीठ के भव्य कार्यक्रम में डॉ परमानंद शुक्ल को हिंदी शिक्षण, हिंदी साहित्य में योगदान व जन -जन तक हिंदी भाषा के प्रचार – प्रसार के लिये विधावाचस्पति सारस्वत (डॉक्टरेट की मानद उपाधि) से सम्मानित किया जाएगा। डॉ• परमानंद शुक्ल हिंदी शिक्षक होने के साथ – साथ इलेक्ट्रो होम्योपैथी डॉक्टर भी हैं जो असहाय और गरीबों की नि: शुल्क सेवा करते हैं। डॉ• परमानंद शुक्ल ने हिंदी भाषा के विकास और प्रसार – प्रसार के लिए एक “हिंदी माता परिवार ” नाम की संस्था 2003 में ही बना दिया था जो अब “अंतर्राष्ट्रीय विश्व ज्योति संस्थान” से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संबंधता प्राप्त कर चुकी है। हिंदी माता परिवार से हजारों हिंदी शिक्षक देश- विदेश से जुड़ें हुए है। महीने में दो बार फ्री आनलाइन ट्रेनिंग भी दी जाती है। सभी शिक्षकों को सम्मानित करते हुए सम्मान पत्र भी दिया जाता है। डॉ• परमानंद शुक्ल ने सन 2013 में मोटीवैशनल लर्निंग मैथड फार आल स्टूडेंट प्रोग्राम आनलाइन चलाया जिससे अबतक हजारों बच्चों को नि:शुल्क सत – प्रतिशत लाभ मिल चुका है। रंग – विरंगे फूल और बच्चे तो इनकों जान से भी प्यारे हैं। इन्हें “फ्लावर मैंन” के नाम से भी जाना जाता है।इसीलिए इनके हिंदी साहित्य और समाज में महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए “पंडित दीनदयाल उपाध्याय हिंदी विद्या पीठ” भारत सरकार ने यह महत्वपूर्ण उपाधि व सम्मान देने की घोषणा की है। इसमें डॉ• किरण बोंगले महाराष्ट्र के अध्यक्ष का विशेष योगदान रहा है। डॉ• किरण बोंगले साधु, संत, महात्माओं, ब्राह्मणों, गाय , गंगा, गीता, रामायण की सेवा में दिनों-रात लगे रहते हैं। मठ, मंदिरों में सदैव दान करते रहते हैं।
विद्यावाचस्पति की उपाधि डॉक्टरेट के समकक्ष मानी जाती है,यह उपाधि हिंदी साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिये दी जाती है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय हिंदी विद्यापीठ देश के उन संस्थाओं में से एक है जो विद्यावाचस्पति (डॉक्टरेट की मानद उपाधि) प्रदान करती है।

डॉ • परमानंद शुक्ल को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित होने का समाचार मिलते ही देश भर के शिक्षकों , चिकित्सकों पत्रकारों, साहित्यकारों, संत समाज, राजनेताओं व सुभचिंतको ने डॉ• परमानंद शुक्ल को बधाई देते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना की साथ ही डॉ • परमानंद शुक्ल ने इस सम्मान के लिये पंडित दीनदयाल उपाध्याय हिंदी विद्यापीठ के कुलपति डॉ इंदु भूषण मिश्र का धन्यवाद किया। आज इससे हिंदी माता परिवार की महिला अध्यक्ष पालिका रेनू सक्सेना, महिला अध्यक्षा डॉ• रितू शर्मा मनोचा, उपाध्यक्षा चारुमति देशाई, राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष डॉ मुनेश कुमार शर्मा, मार्कण्डेय सिंह “मुन्ना” , सांसद डॉ • दिनेश शर्मा, डॉ • हरिनारायण उपाध्याय, हिंदी माता परिवार के राष्ट्रीय संरक्षक श्रीपति उपाध्याय, राष्ट्रीय कार्यक्रम संयोजिका कल्पना मिश्रा उत्तर प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय त्रिपाठी, डॉ • एस• के दुबे (एजुकेशनिष्ट) ,सोमेश दुबे , अयोध्या के तमाम संत , महात्माओं, वेदपाठी ब्राह्मणों सहित सभी ईष्ट मित्र गणों , सगे संबंधियों ने खुशी जाहिर करते हुए हार्दिक बधाई और उज्ज्वल भविष्य की कामनाएं करते हुए अपनी खुशी जाहिर की। डॉ परमानंद शुक्ल ने अपने गुरुदेव भगवान को याद करते हुए धन्यवाद दिया। अपनी प्राचार्या जिनके मार्ग दर्शन में दिनों-रात मेहनत और आशीर्वाद प्राप्त करके इस मुकाम को हासिल किया है सादर प्रणाम करते हुए धन्यवाद दिया।

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